समाज से मिली शर्म || आचार्य प्रशांत, ओशो पर (2017)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२४ अगस्त, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
ओशो कहते है समाज से शर्म मिलती है?
क्या समाज ही डर पैदा करती है?
इंसान समाज में क्यों रहता है?
इंसान को समाज की ज़रूरत क्यों होती है?
क्या इंसान समाज के बिना नहीं जी सकता?
इंसान और समाज के बीच संबंध क्या?
क्या अकेला इंसान जीवन नहीं जी सकता?
क्या नैतिकता की राह पर चलना आवश्यक है?
अनैतिकता का डर क्या है?

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