लॉकडाउन (Amid lockdown) के बीच सरकार ने बैंकों को निर्देश (Advisory to banks) दिए हैं कि वेतन आदि समय से मिलना सुनिश्चित करने के लिए सोमवार से कामकाज का उचित संचालन करें। इस तरह
देश भर में जारी लॉकडाउन के बीच सोमवार (Monday) यानी आज से सभी बैंकों की शाखाएं खुलेंगी और उनमें काफी कुछ कामकाज सामान्य हो जाएगा। महीने के अंतिम दिन चल रहे हैं और यह समय ज्यादातर लोगों की सैलरी और पेंशन आने का होता है। ऐसे में बैंकों की शाखाओं पर दबाव बढ़ने के आसार के थे। इसलिए सरकार ने बैंकों में कामकाज को सामान्य बनाने के लिए एक अडवाइजरी जारी की है। वित्त सेवा विभाग (DFS) ने बैंकों से कहा है कि वे अपने सभी माध्यमों को चालू रखें और लॉकडाउन के दौरान भी सभी ब्रांचों में नियमित कामकाज की व्यवस्था बनाएं। बैंक खुलने के इस निर्देश से अब लोगों को अपने वित्तीय लेन-देन में किसी तरह की समस्याओं से नहीं जूझना होगा। हालांकि लॉकडाउन के दौरान बैंकों की शाखाएं सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही खुलेंगी।डिपार्टमेंट ऑफ फाइनैंशल सर्विसेज (DFS) ने अपनी इस अडवाइजरी में इस बात का भी खास ख्याल रखा है कि ग्रामीण क्षेत्र के ग्राहकों को भी बैंकिंग सेवा का पूरा लाभ मिल सके। भारत सरकार ने कोरोना वायरस से उपजी चुनौतियों से निपटने के लिए निम्न आय वर्ग के लोगों की मदद के लिए 1.7 लाख करोड़ का सहायता पैकेज देने का ऐलान किया था। मदद का यह पैसा तुरंत ही इन लोगों के बैंक खातों में आना शुरू हो जाएगा। ऐसे में बैंक खुलने से ये लोग अपने पैसे का सही वक्त पर इस्तेमाल कर पाएंगे। इस अडवाइजरी में बैंकों को यह भी निर्देश दिए गए हैं लॉकडाउन के दौरान वे अपनी शाखाओं में सीमित स्टाफ को ही कामकाज के लिए बुलाएं और उनके लिए इन हालात में जरूरी न्यूनतम आवश्यक सेवाओं का भी प्रबंध किया जाए। इस दौरान बैंकिंग की जरूरी सेवाएं जैसे- कैश जमा करना और निकालना, चेक क्लियरिंग, सरकारी लेन-देन और एटीएम सेवाएं आदि जारी रहेंगी। देश भर में पिछले सप्ताह शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान बैंकों ने अपने कामकाज सीमित कर दिए थे। इस दौरान शहरी और सेमी अर्बन जगहों पर बैंक 5 किलोमीटर के दायरे में अपनी एक-एक शाखाएं खोल रहे थे, जबकि ग्रामीण इलाकों में वे एक दिन छोड़कर शाखाएं खोल रहे थे। ऐसे में अब सवाल ये है जो बैंक यूनियन 27 मार्च को बैंकों के महाविलय के विरोध में हड़ताल (Bank Strike) पर जा रही थीं पर लॉकडाउन के कारण नहीं जा पाई थीं, वो अब क्या करेंगी। पहले बैंक यूनियनों ने 11 मार्च से प्रस्तावित तीन दिवसीय हड़ताल को वापस ले लिया था और फिर हड़ताल की तारीख 27 मार्च तय की थी। ऐसे में जब बैंकों का कामकाज सामान्य होगा तो सभी की नजर इन 10 बैंकों के उन कर्मियों पर होगी जो मर्जर का विरोध कर रहे थे। एआईबीईए के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम का कहना है कि "क्या कोई विश्वास कर सकता है कि बैंकों के विलय से बड़े कॉर्पोरेट बैड लोन की वसूली होगी? जैसा कि हमने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में विलय के बाद देखा है, एसबीआई में बैड लोन बढ़ गया है. ये बैंक भी अब इसी तरह का जोखिमों का सामना कर रहे हैं. उनका कहना है कि "डूबने वाले ऋण (बैड लोन) की बड़ी संख्या के कारण बैंकों को खुद समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वर्ष में 1,50,000 करोड़ रुपये का कुल सकल लाभ कमाया, लेकिन बैड लोन आदि के लिए कुल प्रावधान 216,000 रुपये का था. ऐसे में आखिर में बैंकों को 66,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसका सरकार के पास क्या समाधान है।