इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने सांसद शंकर लालवानी और रियल एस्टेट संस्था क्रेडाई के पदाधिकारियों से बातचीत की गई। जिसमें तय किया गया शहर की सीमा में आने वाले 29 गांवों में जल्द ही कंस्ट्रक्शन की इजाजत दी जाएगी। साथ ही जिस प्रोजेक्ट में मजदूरों के रहने की सुविधा कैंपस या कंस्ट्रक्शन साइट पर ही होगी उन्हें प्राथमिकता मिलेगी। कंस्ट्रक्शन एक ऐसा सेक्टर है जहां अनस्किल्ड लेबर को काफी काम मिलता है और देश में 8 करोड़ से ज्यादा मजदूर कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में ही काम करते हैं। कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी के मुताबिक देशभर में काम रुकने से कंस्ट्रक्शन क्षेत्र को करीब 30,000 करोड़ रु का रोजाना नुकसान हो रहा है। कोरोना वायरस के कारण इंदौर में भी करीब 200 से ज्यादा प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य रुका हुआ है। क्रेडाई के मुताबिक इन प्रोजेक्ट्स की कीमत जमीन के बिना ही कीमत करीब 1,500 करोड़ रु है और जमीन के दाम भी जोड़ दिए जाए तो ये 3,500 करोड़ रु से ज्यादा होता है। ये सिर्फ उन प्रोजेक्ट्स का अनुमान है जहां कंस्ट्रक्शन हो रहा है इसमें प्लॉटिंग वाले प्रोजेक्ट शामिल नहीं है। लॉकडाउन के कारण काम रुकने से इतनी बड़ी पूंजी अटक गई है और इसका असर समाज के सभी वर्गों पर पड़ रहा है। इंदौर में कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री करीब 6,000 दिहाडी मजदूरों को रोजगार देती है लेकिन काम बंद होने से इन मजदूरों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। जिन प्रोजेक्ट में बेसमेंट का काम शुरू कर गड्ढे खोद दिए गए हैं उनसे आसपास के भवनों को बारिश में खतरा हो सकता है इसलिए क्रेडाई ऐसी सभी जगहों की सूची बनाकर जल्द ही ज़िला प्रशासन को देगी। साथ ही कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करने की परमिशन चरणबद्ध तरीके से दी जाएगी और बिल्डर्स बेहद कड़ी शर्तें के साथ ही काम शुरू कर पाएंगे। बैठक में डॉ निशांत खरे, कलेक्टर मनीष सिंह एवं क्रेडाई के पदाधिकारी उपस्थित थे। क्रेडाई ने भी सांसद और जिला प्रशासन के साथ बैठक में तय हुई शर्तों पर सहमति जताई है और कहा है कि इस कदम से शहर में पैसों का रोटेशन बढ़ेगा और कई मजदूरों को काम भी मिल पाएगा।