जीवन का हर क्षण नया: कर्म, कामना, और चेतना || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2024)

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वीडियो जानकारी: 15.2.24 , गीता समागम , ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम् ।
मम वर्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ।।

जो जैसे मुझे भजता है, मैं भी उन्हें वैसे ही भजता हूँ। जो मनुष्य जिस भी मार्ग पर चल रहा हो, चल तो वो मेरे ही मार्ग पर रहा है।
~ भगवद् गीता - 4.11

~ अपनी सच्चाई कैसे जानें?
~ पारस्परिकता का सिद्धांत क्या कहता है?
~ आत्म-सापेक्षता का सिद्धांत क्या है?
~ अनुग्रह का वास्तविक अर्थ क्या है?
~ जीवन में सबसे बड़ा रस कौन सा है?

संगीत: मिलिंद दाते
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