चेन्नई. वन अधिकारियों के अनुसार, तमिलनाडु के वेट्टांगुडी पक्षी अभयारण्य में इस मौसम में प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। इस वर्ष, अभयारण्य में लगभग 3,500 से 4,000 पक्षी आए हैं, जो 2023 में दर्ज किए गए मात्र 800 के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि है। तमिलनाडु वन विभाग की रिपोर्ट है कि प्रवासी पक्षियों की लगभग 20 प्रजातियां हर साल वेट्टांगुडी पक्षी अभयारण्य में आती हैं। इनमें इग्रेट, इंडियन स्पॉट-बिल्ड डक, डार्टर, एशियन ओपनबिल स्टॉर्क और ब्लैक-हेडेड आइबिस शामिल हैं। इनमें से कई पक्षी अभयारण्य तक पहुंचने के लिए ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों से हजारों किलोमीटर की यात्रा करते हैं। 36 हेक्टेयर में फैला वेट्टांगुडी पक्षी अभयारण्य मदुरै-करैकुडी राजमार्ग के किनारे कोल्लुकुडीपट्टी और वेट्टांगुडीपट्टी गांवों में स्थित है।
वन विभाग ने शिकार विरोधी निगरानीकर्ताओं को तैनात किए
प्रवासी पक्षी मुख्य रूप से बसेरा करने और प्रजनन के लिए इस अभयारण्य में आते हैं। स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि इन पक्षियों का आना मानसून की तीव्रता का सूचक है। स्थानीय पक्षी निरीक्षक मणिकंडन थेवर ने कहा, ये पक्षी बरसात के मौसम के बारे में जानकारी देते हैं। पक्षियों को शिकारियों से बचाने के लिए वन विभाग ने शिकार विरोधी निगरानीकर्ताओं को तैनात किया है। इसके अलावा, उन्होंने अवांछित पेड़ों और झाडिय़ों को साफ कर उनकी जगह देशी नट्टू करुवेलम के पेड़ लगाए हैं, ताकि आवास में सुधार हो सके। पक्षियों के लिए स्थिर भोजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के भी प्रयास किए गए हैं। आस-पास के जल निकायों में मछली के बच्चे डाले गए हैं, जिससे अभयारण्य के भीतर खाद्य श्रृंखला में वृद्धि हुई है। प्राकृतिक खतरों को कम करने के लिए अधिकारियों ने 32 बंदरों और दो अजगरों को अभयारण्य से स्थानांतरित कर दिया, जिससे पक्षियों और उनके अंडों के लिए शिकारी जोखिम कम हो गया। अभयारण्य की राष्ट्रीय राजमार्ग से निकटता को देखते हुए वन विभाग ने सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र के साथ मिलकर प्रवासी पक्षियों पर ध्वनि तरंगों के प्रभाव पर एक अध्ययन किया।
विभिन्न प्रजातियों के 10,000 से अधिक पक्षियों का आगमन
इस बीच तोरैपाक्कम के मेट्टुकुप्पम के पल्लीकरनै मार्शलैंड में 100 विभिन्न प्रजातियों के 10,000 से अधिक पक्षियों का आगमन दर्ज किया गया है। उनमें से 70 प्रजातियां प्रवासी हैं, जिनमें गार्गनी, उत्तरी शॉवलर, यूरेशियन टील, यूरेशियन विगॉन, रफ और वेस्टर्न मार्श हैरियर जैसे दुर्लभ पक्षी शामिल हैं। पक्षी देखने वाले इस वृद्धि का श्रेय दलदली भूमि की प्रचुर खाद्य आपूर्ति और अनुकूल आवास स्थितियों को देते हैं। पल्लीकरनै मार्शलैंड में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की देखरेख में 52 अवैध अतिक्रमणों को हटाने सहित महत्वपूर्ण बहाली प्रयास किए गए हैं।
मानवीय हस्तक्षेप कम होना भी आकर्षण का एक कारण
विस्थापितों ने आद्र्रभूमि को अपनी प्राकृतिक स्थिति पुन: प्राप्त करने की अनुमति दी, जिससे प्रवासी और स्थानीय पक्षी दोनों प्रजातियों के लिए एक निर्बाध अभयारण्य उपलब्ध हुआ। मानवीय हस्तक्षेप कम होने के कारण दलदली भूमि एक समृद्ध आवास बन गई है, जो हर मौसम में हजारों पक्षियों को आकर्षित करती है। पक्षी निरीक्षकों के साथ वन अधिकारी पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी करते रहते हैं, ताकि पक्षियों की जैव विविधता के लिए इसे संरक्षित रखा जा सके। वेट्टांगुडी पक्षी अभयारण्य और पल्लीकरनै दलदली भूमि दोनों में प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि संरक्षण प्रयासों की सफलता और इन मौसमी आगंतुकों के लिए प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा के महत्व को उजागर करती है।